वक्फ संशोधन कानून 2025 को लेकर देश की सर्वोच्च अदालत में आज एक महत्वपूर्ण सुनवाई होने जा रही है। इस कानून को कई आधारों पर चुनौती दी गई है, और आज दोपहर 2 बजे से CJI संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच इस पर दायर विभिन्न याचिकाओं पर दलीलें सुनेगी। आइए, इस पूरे मामले को आसान भाषा में समझते हैं।
मुख्य बिंदु:
- सुप्रीम कोर्ट आज (गुरुवार, 17 अप्रैल 2025) वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगा।
- चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) संजीव खन्ना और जस्टिस पीवी संजय कुमार की बेंच इन मामलों को देखेगी।
- कानून के विरोध और समर्थन में 70 से अधिक याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनमें से 10 आज सूचीबद्ध हैं।
- याचिकाकर्ताओं में प्रमुख विपक्षी नेता, धार्मिक संगठन और नागरिक अधिकार समूह शामिल हैं।

क्या है वक्फ संशोधन कानून 2025?
- यह कानून वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन से संबंधित मौजूदा वक्फ अधिनियम में संशोधन करता है।
- इसे संसद ने 4 अप्रैल 2025 को पारित किया था और 5 अप्रैल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली थी।
- केंद्र सरकार ने 8 अप्रैल 2025 से इसे लागू करने की अधिसूचना जारी की थी।
कानून का विरोध क्यों हो रहा है?
इस कानून के खिलाफ 70 से अधिक याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनमें कई प्रमुख नाम शामिल हैं:
याचिकाकर्ता:
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, AAP विधायक अमानतुल्लाह खान, RJD सांसद मनोज कुमार झा, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी, एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स, ऑल केरल जमीयतुल उलेमा आदि।

मुख्य आपत्तियां:
- असंवैधानिक: कई याचिकाओं में इसे संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ बताते हुए रद्द करने की मांग की गई है।
- भेदभावपूर्ण: इसे मुसलमानों के खिलाफ मनमाना और भेदभावपूर्ण बताया गया है। ओवैसी का तर्क है कि यह कानून वक्फ संपत्तियों को मिली सुरक्षा खत्म करता है, जबकि अन्य धर्मों की संपत्तियों की सुरक्षा बरकरार है।
- अनुच्छेद 14 का उल्लंघन: अमानतुल्ला खान ने वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने को समानता के अधिकार (अनुच्छेद 14) का उल्लंघन बताया है।
- क्रियान्वयन पर रोक: कुछ याचिकाएं कानून के लागू होने पर तत्काल रोक लगाने की मांग कर रही हैं।
सरकार और समर्थक राज्यों का क्या कहना है?
केंद्र सरकार और 7 राज्यों (जैसे हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, असम आदि) ने कानून का बचाव किया है:
- संवैधानिक वैधता: राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि कानून की संवैधानिक वैधता बरकरार रखी जानी चाहिए।
- धर्म नहीं, प्रबंधन: सरकार का कहना है कि यह कानून धर्म के बारे में नहीं, बल्कि वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन के बारे में है।
- अनियमितताओं पर रोक: सरकार का तर्क है कि वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में भारी अनियमितताएं हैं और उनकी आय का लाभ गरीब मुसलमानों, महिलाओं या बच्चों तक नहीं पहुंचता, जिसे यह कानून ठीक करेगा।
- व्यापक सलाह-मशविरा: सरकार ने दावा किया है कि बिल को व्यापक विचार-विमर्श के बाद तैयार किया गया है, इसे गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों का भी समर्थन प्राप्त है, और संयुक्त संसदीय समिति के सुझावों को शामिल किया गया है।

विरोध प्रदर्शन और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस कानून के खिलाफ देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन भी हुए हैं। पश्चिम बंगाल में हुए प्रदर्शन हिंसक हो गए थे, जिसमें कुछ लोगों की जान भी गई। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने घोषणा की है कि उनकी सरकार इस संशोधित कानून को राज्य में लागू नहीं करेगी।
आज की सुनवाई का महत्व
सुप्रीम कोर्ट में आज होने वाली सुनवाई बेहद अहम है। अदालत विभिन्न पक्षों की दलीलें सुनेगी और यह तय कर सकती है कि क्या कानून के विवादास्पद प्रावधानों पर अंतरिम रोक लगाई जाए या नहीं। इस सुनवाई से वक्फ संशोधन कानून 2025 के भविष्य की दिशा तय हो सकती है।
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